motapa or chuha hindi kahani

motapa or chuha  hindi kahani


motapa or chuha  hindi kahani

 मोटापा और चुहा आज में  आपको एक एसि कहानि बताने जा रहा हूँ  जिसमें आपको  सब्र  रखना सिखायेगा  pacenc  और इस कहानि से आपको यह भि सिखने को मिलेगा जिससे आप को यह पता चलेगा कि मैं  जो हु जैसा हु और मेरे पास जो है बोत हैं  और किसि चिज को ना हि जरूररत से जादा लरखना चाहिए और नाहि जरूरत  से जादा इस्तेमाल  करना चाहिए  .

motapa or chuha :  


  • आज की  कहानी  एक छोटे  से चुहे कि है. कि है एक जगल में  एक पेड़  के निचे एक छोटा सा बिल करके एक छोटा सा चुहा पेड  के अन्दर अपना घर  बना कर रेहता था.



  •  वो  बहोत कुछ खाता था. फिर भि वह मोटा नहीं  होता था. चुहा सोचता था जादा खाने से में  मोटा और बडा बन जाउगा मोटा होने के लिए वो परेशान रेहता हैं  . 



  • एक दिन चुहा एसे हि जगल में  टेहल रहा होता हैं  .तभि उसको एक हरा मटर मिलता हैं  . और फिर चुहा सोचता हैं  .कि मे एक मटर का दाना यह मटर का दाना खा भि लेता हु तो इससे तो मेरा पेट भि नहीं  भरेगा तो चुहा उस मटर के दाने को खेत में  ले जाकर बिज बनाकर मटि  मे लगा देता है . 



  • और सोचता हैं  जलदि हि पैड  बन जायेगा  और इस पर ढेर सारे मटर उग जायेगे और फिर में  पेट भर के खाउगा फिर चुहा उस मटर के बिज का धयान रखने लगता हैं  जो बिज उसने बोया था. 



  • और सुबह से लेकर रात तक उसका ध्यान रखा फिर रात हुइ वो अपने पेड के बिल वालै घर में  चला गया और रात भर यह सोचता रहा बस सुबह होगी मटर का पेड उग जायेगा  और उसपर ढेर सारा मटर उगा होगा और में  ढेर सारे मटर खाउग  यहि सब सोचते सोचते चुह  सो जाता सुबह होति हैं  .



  • और जैसे हि चुहे कि आख खुलति हैं  तो वो सबसे पेहले खेत पर दोड कर उस मटर के पास जाता हैं  तब वो देखता हैं  कि मटर के पेड पर सिर्फ  दोचार पतिया हि उपर ने कलि हुइ हैं .



  • तभि चुहा का मध छोटा हो छाता हैं  वो फिर से दिन भर वहि बैठा रेहता हैं  और रात को अपने घर पे सोने जाता हैं. सोते हुये चुहा सोणता है कल तो मटर उग जायेगे और में  खाउगा  यहि सोचते चुहा आज फिर से सो जाता हैं  .



  • अगले दिन सुबह होति हैं. अगले दिन चुहे कि आख खुलति हैं  .और फिर  से चुहा दोड कर खेत पे जाता है  फिरसे चुहा देखता हैं  पेड बडा हुआ है  और इस पर मटर के  फुल भि आये है. 



  • लेकिन मटर नहीं  आयि फिर र चुुुुउदास हो जााााहै  .चुुुुगुसाामें  सैैैैैहैं  .कि इससे अच्छा  तो यहि हैता कि मैं वो मटर हि खालेता फिर चुहाा फिर र से दिन भर मटर के पेेेड के पास हि बैठा रहता है  फिर चुुुुहा फिर से रात को अपनेे बिल घर में  चला जाताा .है   और आज चुहा नााहि कुुुछ सोचता हैं  .



  • और बिना कुुुछ सोचे चुहा हि रात को सौ जाता हैं  . अगले दिन सुबह उठ के वै पेड के पास नहीं  जाता जगल में  ईधर उधर टेहलने लगता हैं  और टेहलते -टेहलते वो खेत के पास पहोच जाता हैं .जहा उसने उस मटर के बिज को लगाया होता हैं  .



  • और चुहा कि नजर अपने बिज के पेड पर जाति हैं  .तो वहा दस मटर के बाल लटके होते हैं  वो बहोत खुश हो जाता है  .और दोडकर पेड के पास जाकर मटर को तोडकर  उसे छिलकर पेट भर मटर खाता हैं  .



  • और खुब खुश हो जाता है  .फिर जादा खून  कि लजह से चुहे को निद  आने लगति हैं  और वो अपने घर पर जाकर सो जाता हैं.  फिर कुछ देर बाद उठ कर फिर से खेत मे जाकर मटर खाता हैं  फिर चुहा जगल में  टेहलने लगता हैं  .



  • फिर से भुख लगति है. फिर से जाकर खाता हैं  एसे हि कुछ दिन चलता रहा चुहा खुब खाता और सोता कोई काम भि नहीं  करता इस तरह चुहा बहोत मोटा हो गया एक दिन चुहा खेत से मटर खा कर अपने घर मे बिल के अन्दर घुस रहा था तो चुहा बहोत जादा मोटा होने के  वजह से घर में  घुस भि नहि पा रहा था.



  • फिर चुहा बहोत जादा मोटापे के वजह से भाग भि नहीं  पा रहा था. फिर चुहे ने सोचा में त पेहले जैसा था. बहोत अच्छा  था. कहि भि भाग सकता था कहि भि जा सकता था छुप सकता था. फिर र चुहा सैचता हैं  .



  • मुझे  पेहले जैसे बना है. फिर  एक दिन   चुहा डॉक्टर  के पास जाता हैं  और  केहता हैं  . कि डॉक्टर  साहब मुजे कोइ एसि दवाइ दो जिससे मे पतला हो जाऊ फिर  डॉक्टर  चुहे को केहते हैं  एसि कोई दवाई नहीं  है  .



  • लेकिन दो उपाय हैं  .जिससे तुक्ष पतले हो सकते है. डॉक्टर  चुहा को बोलते हैं  .तुम चार दिन तक कुछ भि नहि खाना और इसके साथ ही  तुम जितना भाग या चल सको भागो यहि दो उपाय हैं  .जिससे  तुम पेहले जैसे हो सकते हो चुहा डॉक्टर  कि बात मानता हैं .



  •   और वो चार दिन कुछ भि नहीं  खात  और बहैत मभागता हैं  दिन भर जगल मे भागना और टेहलता है. ओर चार दिन बाद जब चुहा अपने पेड के बिल वाले घर मे जाने कि कोशिश  करता है  .और वो आराम से अन्दर  घुस जाता हैं.



  • तब चुहा खुश है जाता हैं  .और सैचता हैं  कभि भि जरूरत  से जादा कोई चिज नहीं  करनि चाहिये में  जैसा भि हु सबसे  best  हु.


कहानि कि सिख : 

इस कहानि  से हमे यह सिख में लति हैं .  कि हमे कभि भि जादा कि अपेक्षा नहीं  रखनि चाहिए  हमारे पास जो है  .जितना है. बहोत. और दुसरि हम जो है जैसे है एक दम  perfect  हैं  .



निवेदन
उमीद  करता हूँ  आपको यह  post और ये  story    बहोत पसन्द  आये इसलिए   pls sport और जादा से जादा share  करे. 









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