hanuman chalisa fast in hindi
hanuman chalisa fast in hindi
- क्षि जै हनुमान चालीसा आज में आपको हनूमान चालिसा के बारे में बहोत बडि बात बताने जा रहा हूँ .हनुमान चालिसा बहोत हि प्रभाव शालि हैं .
- .हनुमान चालीसा के लिये एसा कहा जता है कि अगर आप मन से 1.7.11 बार हनुमान चालीसा पढते है तो यह माना जाता हैं कि आपकि सारि मनोकामना पुरि होति है .
- हनुमान चालीसा बहोत जादा प्रभाव शालि इसे पढने से सारे सकंट टल जाते है. कोइ बिमारि और बुरि शक्ति भि आपके पास नहीं आति हैं .
- हनुमान चालीसा तुलसि दास के द्वारा लिखि गई हैं . एसा माना गया है. और रामायन में भि लिखा केवल एक हनुमान प्रभु हि अभि तक पृथ्वी पर जिवित हैं .
- जो कलयुग के अन्त तक प्रलय तक रहेगे इसलिये कलयुग में जो हनुमान जि को पुजते हैं .जो भि हनुमान चालीसा पढता हैं वो प्ररम फल को प्राप्त करता है . क्षि जै हनुमान चालीसा .
दोहा
क्षि गुरु चरन सरोज, रज निज मुकरु सुधारी।
बरनऊ रघुबर बिमँ जसु ,जो दायक फल चारि।।
बुद्दीहिन तनु जानिके , सुमिरो पवन कुमार ।
बलबुदि विधा देहु, मोहि हरहु कलेश विकार ।।
चौपाई
जयहनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपिस तिहु लोक उजागर।।
राम दुत अतुलित बल धामा।
अजनिं पुत्र पवनसुत नामा ।।
महाविर बिकरम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के सगी।।
कचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुडल कुचित कैसा।।
हाथ बज्र ध्वजा बिराजे।
काधे मुह जनेऊ साजे।।
सकंर सुवन केसरि नद्न ।
तेज प्रताप महा जग बदन।।
विधावान गुनि अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित सुनिबे को रसिया।
राम लखन सिया मन बसिया
सूक्ष्म रूप धरि सिहयि दिखावा ।
बिकट रूप धरि लक जरावा।।
भिम रूप धरि असुर सहारे।
राम चन्द के काज सवारे।।
लाये सजिवन लखन जियाये।
क्षि रघुबिर हरषि उर लाये।।
रघुपति किन्हि बहुत बडाई।
तुम मम् प्रिय भरत सम भाई।।
सहस बदन तुमरो जस गगये।
अस कहि क्षि पति कंठ लगावे।।
सनका दिक बर्मादि मुनिसा ।
नारद सारद सहित अहिसा ।।
जम कुबेर दिगपाल जहा ते।
कबि कोबिद कहि सके कहाते ।।
तुम उपकार सुग्रवहि किन्हा।
राम मिलाये राज पद दिन्हा।।
तुमरो मंत्र विभिषन माना।
लकेशवर भये सब जग जाना।।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु।
लिल्यो ताहि मधुर फल जानु।।
प्रभु मुद्रिका में लि मुख माहि ।
जलधि लाघि गये अचरज नाहि ।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुमरे तेते।।
राम दुवारे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लेहे तुमारि सरना।
तुम रक्षक काहु को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपे।
तिनो लोग हाकते कापे।।
भुत पिसाच निकट नहीं आवे।
महाविर जब नाम सुनावे।।
नासे रोग हरे सब पिरा।
जो सुमिरो हनुमत बल बिरा।।
सकंट से हनुमान छुडावे।
मन कर्म वचन ध्यान जो लावे।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकंल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावे।
सोई अमित जीवन फल पावे।।
चारो जुग प्रताप तुम्हारा ।
हे प्रसिद जगत उजियारा
साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकन्दन राम दुलारे
अष्ठ सिद्व नौ निधि के दाता।
अस बर दिन जानकि माता।।
राम रसायन तुमरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुमरे भजन राम को पावे।
जन्म जन्म के दुख बिसरावे।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहा जन्म हरि भकत कहाई।।
और देवता चित नहि धरहि।
हनुमत से हि सर्व सुख करहि।।
सकंट कटे मिटे सब पिरा।
जो सुमिरे हनुमत बल बिरा।।
जै जै हनुमान गोसाई ।
किरिपा कयहु गुरू देव कि नाहि।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छुटहि बन्दि महा सुख होई
जो यह पढे हनुमान चालीसा ।
होय सिधि साखि गोरिसि
तुलसि दास सदा हरि चेरा।
किजे नाद हदय मह डेरा।।
दोहा
पवन तधय सकंट हरन,मगल मुरति रूप।।
राम लखन सिता सहित , हदय बसहु सुर भुप ।।
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