hanuman aarti subah ki
- आज में आपको हनुमान आरति के सारे में बताने जा रही हु. इतिहास से माना जाता हैं .कि हनुमान जि बहोत बडे राम जि के भक्त थे. इसलिए यह कहा जाता है.
- हनुमान जि कि पुजा बिना क्षि राम का नाम लिये या फिर उनकि पुजा किये बिना नही मानी जाति हैं .
- इसलिए हनुमान आरति में क्षि राम जि का नाम आता हैं .क्षि राम के नाम बिना उनकि आरति भि complete नहीं मानी जाति इसलिये हनुमान कि आरति हनुमाश और क्षि राम दोनो कि पुजा का प्ररवधा हैं .
हनुमान जी की आरती
हनुमान आरति
आरति किजे हनुमान लला कि।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला कि।।
जाके बल से गिरिवर कापे।
रोग दोष जाके निकट ना जापे।।
अंजनी पुत्र महा बल दायि ।
संन्तान के प्रभु सदा सहाई।।
दे बिरा रघुनाथ पठारे।
लका जारि सिया सुधी लाये।।
लका सो समुद्र सिखाई ।
जात पवन सुत बार न आई ।।
लका जारि असुर सघारे।
सिया राम जिके काज सवारे।।
लाये सजीवन लखन जियाये।
क्षि रघुविर हरषि उर गाये।।
लक्षमन मुर्क्षित पडे सकारे।
आनि सजिवन प्रान उबारे।।
पेठि पताल तोरि जम कारे।
अहिरावन कि भुजा उखारे।।
बाये भुजा असुर दल मारे।
दहिने भुजा सतंजन तारे।।
सुर नर मुनि जन आरति उतारे।
जै जै जै हनुमान उचारे।।
कचन थार कपूर लौ छाई।
आरति करत अजंना माई ।।
जो हनुमान जि कि आरति गावे।
बसि बैकुठ परमं पद पावे ।।
लका विधवश कि यह रघुनाई।
तुलसि दास स्वामी किरति गाई।।
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